स्टार्टअप या नयी शुरुआत
वैसे तो स्टार्टअप का मतलब सब के लिए एक जैसा ही होता हैं, पर मेरे लिए कुछ अलग हैं और मेरे हिसाब से तो सब के लिए अलग अलग मतलब हैं इसका ... हा सही कह रहा हुँ !
हम सब हर दिन नई शुरूआत करते हैं, रोज कुछ नया करते हैं, कभी-कभी तो हमें खुद को पता नही रहता की हमने आज कुछ नया किया.स्टार्टअप का सही मायनो मैं अर्थ तो नया व्यापार शुरू करना होता हैं! 10 -12 साल की उम्र मैं मैने खुद स्टार्टअप डाला था.. "सक्तिमान खट्टा -मीठा " सच में तब पहली बार पता चला था की दिल की सुनो और करो तो क्या सुकून मिलता हैं ! काम कोई छोटा - बड़ा नहीं होता बस मजे आने चाहिए काम करने में ! शानदार आईडिया था , नाथ जी की दुकान का आईडिया चोरी हुआ था पर सच कहता हु , पुड़िया में मेटेरियल सारा चेंज था ! मैने डाले थे गुड़ , इमली , मूंगफली , तिल और जो भी मिल जाता था :) !! रॉ मटेरियल मुझे घर से चुरा के लाने में कोई खास दिकत नही आती सिवाय गुड़ के क्योकि वो रसोई में उंचाई पे रखा हुआ रहता था ! तो कोई खास इन्वेस्टमेंट नही किया था पर पाउच का मुल्य, मेरे सबसे बड़े कॉम्पिटेटर नाथ जी के पाउच से कम रखा था 50 पैसे प्रति पाउच। और इनाम भी रखा 4 पुड़िया पे 1 फ्री ! पैकिंग करने के लिए , स्टेपलर के अलावा कुछ खास टेक्नोलॉजी नही थी पर वो काम कर गयी मैने शानदार तरीके से हर पाउच को पैक किया। शानदार दिन थे, दिल की सुनो बस !! खैर स्टार्टअप 1 महीने मैं ही बंद करना पड़ा !! मुख्य कारण थे उधारी ज्यादा हो जाना , एग्जाम नजदीक आ जाना और आखरी और महत्वपुर्ण, घर वालो को पता लग जाना :)! पर गम नही था उसके बंद होने का ! फेल होना अलग बात हैं और कुछ न करना अलग बात हैं । तब से लेकर आज तक कुछ खास हासिल तो नही किया पर बुरा भी नही लगता, क्योंकि मैने हमेशा कोशिस की पाने की ! कही पढ़ा था की सबसे मुश्किल तो उसे हराना हैं जो हर हाल मैं हार नही मानता, कोशिस करता रहता हैं !
स्टार्टअप, हम तो रोज शुरू करते हैं ! रोज कुछ नया प्लान बनाते हैं ! रोज कुछ नया करते हैं ! रोज नए रास्तो पे चलते हैं ! रोज नए लोगो से मिलते हैं !और रोज फेल होते हैं ! पर अगले दिन फिर जुट जाते हैं नए स्टार्टअप मैं ! रोज के लक्ष्य् होते हैं , किसी को पढ़ना हैं चेप्टर पूरा करना हैं , किसी को घूमना हैं, तो किसी को अपना वजन कम करने के लिए जिम जाना हैं , तो किसी को घर का सारा काम बच्चों के स्कूल के आने से पहले निपटना हैं, ! अमूमन हम हर दिन फेल होते हैं ! पर फिर उठ खड़े होते हैं उस कल को भूल के ! तारीफ तो करूँगा हम अच्छे एंट्रेपरनेउर हैं ! और ऊपर वाले को भी धन्यवाद दूंगा जिसने ये दिन रात बनाये , वर्ना हम कैसे अपनी पुरानी हार को भूलते ,कैसे भूलते वो बुरे पल जो हमें तंग करते हैं कैसे नयी सुबह में उठ नयी शुरुआत करते , , कैसे हम खुद को रोज सूरज सा ऊर्जावान महसूस करते ! कैसे हम हर हर दिन एक नया स्टार्टअप शुरू करते !
सूरज उग आया हैं , चलो कुछ नया स्टार्टअप शुरू करते हैं ! :)
शुभकामनाये।
- लखपत सिंह पुरोहित